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दोस्तो, आपने मेरी कहानी झट शादी पट सुहागरात पढ़ी. कहानी पर आपने विचारों से भारी आपकी ढेर सारी ईमेल मिली. अब आप आगे की कहानी पढ़ें कि कैसे झटपट शादी और सुहागरात के बाद हमने अपना हनीमून मनाया.
हमारी सुहागरात और पहली चुदाई झटपट हो गयी थी. तो मैंने प्रीति से कहा- कॉलेज की छुट्टियाँ चल रही हैं और मैं चाहता हूँ जब तक छुट्टियाँ हैं, तुम यहीं पर रहो, तुम अब मेरे से एक पल भी जुदा न होना! तो प्रीति भी बोली- मैं भी तुम से जुदा नहीं होना चाहती. पर अपने घर वालों के लिए हमें उनसे रजामंदी लेकर शादी करनी होगी … मेरे घर वाले तो मेरी पसंद से मेरी शादी कर देंगे गर तुम किसी कारण से मुझसे समाज के आगे शादी नहीं कर सकते तो भी कोई बात नहीं, मैं तुम्हारी रखैल बन कर भी रह लूंगी.
तो मैंने प्रीति को चूमते हुए कहा- मेरी जान, तुम अब मेरी भार्या हो … मेरे घर वाले भी मेरी पसंद को ही अपना लेंगे … मेरी माँ भी कई बार कह चुकी है अपनी पसंद की लड़की ले आ, उसे ही अपनी बहू मान लेंगे. जब तुम कहोगी, मेरे घर वाले तुम्हारे घर आ जाएंगे शगुन लेकर और फिर सारे समाज के आगे सात फेरे भी ले लेंगे.
मेरी यह बात सुन कर प्रीति मुझे पागलों की तरह चूमने लगी और बोली- ठीक है, जब तक तुम कहोगे, तब तक मैं अब तुम्हारे साथ ही रहूंगी. पर मुझे इजाजत दो तो अपने कुछ कपड़े और सामान ले आऊं! मैंने कहा- वैसे तो मेरी माँ ने मेरी दुल्हन के लिए बहुत सारा सामन इकट्ठा कर रखा है, वो सब अब तुम्हारा ही है. जो मर्जी पसंद आये, वह पहन लेना. फिर भी तुम चाहती हो तो ठीक है, कल चलेंगे सामान लेने! अभी कौन सा हम दोनों को कुछ पहनना है. तो प्रीति शरमा कर मुझ से चिपट गयी और हम दोनों लिप किश करने लग गए.
उसके बाद प्रीति बोली मुझे बाथरूम जाना है तो मैं बोला दोनों साथ चलते हैं.
मैं प्रीति को बाथरूम में ले गया और उसकी चूत और अपने लंड को धोया. एक कातिलाना मुस्कान मैंने दी … जिसका जवाब मुझे उसकी कातिलाना मुस्कान से मिला और वो अपने होंठों को दबाने लगी। उसे अपनी ओर खींचते हुए मैंने उसके स्तनों को कस के पकड़ा और उसके गले पर अपने होंठों की मुहर लगा दी. उसकी सिसकारी सी छूट गई और वो मुझसे लिपटने की कोशिश करने लगी।
फिर मैंने उसके होंठों को अपना निशाना बनाया और वहां भी एक सील लगा दी। मैंने प्रीति को वहीं पर किश करना शुरू कर दिया. प्रीति भी वापिस मुझे किस करने लगी. मैं प्रीति के बूब्स सहलाने और दबाने लगा. वह ओह आह ओह्ह करने लगी.
फिर मैंने शावर चला दिया और चलते शावर में दोनों एक दूसरे को चूमने में लग गए. मुझे ध्यान ही नहीं कि कब मेरा एक हाथ उसकी कमर के चारों ओर पहुँच कर लिपट चुका था और दूसरा हाथ उसकी पीठ पर था। उसके उन्नत वक्ष … भरे हुए नितंब और सुडौल शरीर … पूर्ण यौवन … जिसका हर अंग मदन-राग गा रहा था।
उसके ऊपर से भीगा बदन पानी में आग लगा रहा था. पर इस वक्त मेरा दिमाग़ तो पूरी तरह से प्रीति के उठे हुए मम्मों की नोकों पर था … जो हर बार मेरी छाती से रगड़ खा रहे थे और रगड़ने से और नुकीले व कठोर होते जा रहे थे।
मेरा लण्ड अपने पूर्ण स्वरूप में आ चुका था … मैं अब सेक्स में डूब चुका था. मैंने महसूस किया कि उसका हाथ कभी मेरी भरी हुई टाँगों को नाप रहा था … तो कभी मेरी पीठ को सहला सा रहा था। मैं समझ गया कि अब यह भी यौवन की अग्नि में डूब चुकी है।
मैंने उसको देखा … लेकिन प्रीति मेरा हाथ सहलाने लगी थी … तो कुछ नहीं सूझा … मैं बस एक काम-आतुर की तरह उसके सम्मोहन में गिरफ्तार हुआ उसके होंठ चूसने लग गया.
अब उसका खुद की साँसों पर कोई कण्ट्रोल नहीं रह गया था … मैंने उसके मम्मों में अपना सिर घुसा दिया मैं उसके गले पर चुम्बन करता रहा और अपने एक हाथ को नीचे ले जाते हुए उसकी जाँघों के अन्दर डाल दिया।
हमारे ऊपर शावर का पानी लगातार गिर रहा था और कामाग्नि में घी का काम कर रहा था.
लेकिन मैंने अभी उसकी चूत को नहीं छुआ था … शनै: शनै: वो टूटने सी लगी और कामाग्नि में पूरी तरह डूब कर मेरे वशीभूत हो चुकी थी। उसके बालों से गिरता पानी उसको और ज़्यादा कामुक बना रहा था। उसके कंधे पर बालों से पानी गिर रहा था … मैंने अपने पूरे होंठों को खोल कर उसके कंधे पर हौले से काट लिया … वो सिहर कर रह गई. वो अजन्ता की एक नग्न मूरत सी मेरे सामने खड़ी थी। मेरी उंगलियां उसकी कमर से लेकर स्तनों तक लगातार चल रही थीं।
वो पूरी तरह से कामातुर हो चुकी थी … हम दोनों इस वक्त पूर्ण प्राकर्तिक सौंदर्य यानि की नग्न अवस्था में एक-दूसरे को देख रहे थे। उसकी आँखें आधी ही खुली थीं … क्यूंकि वो मस्त हो चुकी थी.
मैंने अपनी ऊँगली उसके रस से भीगे होंठों पर घुमाई तो उसने लपक कर उसको मुँह में ले लिया और चूसने लगी … धीरे से उसने ऊँगली को काट भी लिया. फिर मैं उसके गीले बदन से बहता पानी चाट चाट कर उसे सुखाने लगा मैंने उसके बदन पर पड़ी पानी की एक एक बूँद अपने होंठों से पी डाली. प्रीति ने भी जवाब में वैसे ही मेरे शरीर को चाट चाट कर सुखा दिया.
आप सोचते होंगे चाट चाट कर कैसे सुखाया जा सकता है? खुद करके देखिएगा, बहुत मजा आता है.
कमसिन पूर्ण यौवना प्रीति को मैंने अपनी गोद में उठाया और कमरे में पड़े सोफे पर पटक दिया और उसके ऊपर लेट गया। मेरी जीभ उसके मुँह के अन्दर थी और वो उसको बेहद कामुकता से चूसने लगी। मेरा लंड उसकी चूत पर ही रखा हुआ था … दोनों को एक गर्म अहसास होने लगा था।
उसके बदन से खेलता-खेलता मैं 69 में पलट गया और उसकी चूत को चाटने लगा … मेरे बिना कुछ कहे ही उसने मेरा लंड अपने मुँह में जड़ तक ले लिया … मेरी तो उम्म्ह… अहह… हय… याह… सिसकारी ही छूट गई थी। हम दोनों एक-दूसरे के अंगों को चूस और चाट रहे थे।
थोड़ी ही देर में वो झड़ गयी और मैंने उसकी चूत का रस पूरा चाट लिया। लेकिन अभी हमारी हवस का अंत नहीं हुआ था … चूसने की वजह से उसके होंठ और भी ज्यादा गुलाबी हो गए थे। मैंने बिना मौका गंवाए उसके होंठों को मुँह में भर लिया और चूसने लगा।
हमारे बीच में एक संवादहीनता थी … बस हम दोनों उन पलों का भोग कर रहे थे।
मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत में डाल दी जिससे वो मचल उठी और मुझे कस कर पकड़ लिया। मेरा लंड भी अब दुबारा अपनी जवानी पर आ रहा था।
फिर मैंने उसकी चूत में एक और उंगली घुसेड़ दी और उसके होंठों को चबाता रहा … उसकी सिसकारी निकल नहीं पा रही थी … वो पूरी तरह बेचैन थी … मैंने उसके होंठों को छोड़ा तो उसकी मादक सीत्कारें मेरे जोश को और अधिक बढ़ाने लगी। उसकी जीभ … मेरे होंठों में दबी थी और मैं पूरी ढीठता से उसकी जीभ को अपने होंठों से चबा रहा था।
तभी उसने अपने मम्मों को मसलना शुरू कर दिया और मेरा ध्यान उसके मस्त मम्मों को चूसने का हुआ। शायद वो मुझे यही इंगित करना चाह रही थी कि मेरे इन यौवन कलशों को भी अपने अधरों से निहाल कर दो.
सच में उसके गोल स्तन … जिन पर छोटे मुनक्का के दाने के बराबर उसके चूचुक एकदम कड़क होकर मुझे चचोरने के लिए आमंत्रित कर रहे थे। मैंने अपने होंठों को उसके मदन-मोदकों की परिक्रमा में लगा दिया और जीभ से उसके उरोजों के बीच की संवेदनशील छाती पर फेरना आरम्भ कर दिया।
प्रीति एकदम से सिहर उठी और उसने मेरे सर को पकड़ कर अपने चूचुकों को चूसने के लिए लगा दिया। अब मेरे मुँह में उसके अंगूर के आकार के लम्बे चूचुक आ चुके थे … मैं पूरी मस्ती से उनका मर्दन कर रहा था।
इधर मेरे मुँह में उसके चूचुक थे और उधर मेरा मूसल लण्ड … पूर्ण रूप से तन कर उसकी चूत के दरवाजे पर अठखेलियाँ कर रहा था। वो अधीर हो अपना सर इधर उधर करने लगी, बोली- क्यों तड़पा रहे हो? उससे भी अब रहा नहीं जा रहा था, उसने अपना एक हाथ नीचे ले जाकर मेरे लौड़े पर लगाया और अगले ही पल मेरा लवड़ा उसकी चूत में पेवस्त होता चला गया।
ज्यों ही मेरा लवड़ा उसकी गुफा में घुसा, उसकी एक मस्त ‘आह्ह …’ निकल गई। ऊपर से मैंने भी जोर लगाया और उसने अपनी टांगें फैला दीं … मेरा लण्ड उसकी चूत की जड़ तक पहुँच गया।
मैंने उसे लिप किस किया. मैं उसे लिप किस करता ही रहा. वह भी कभी मेरा ऊपर का लिप चूसती, तो कभी नीचे का लिप चूसती रही. मैंने उसके लिप्स पर काटा, तो उसने मेरे लिप्स को काट कर जवाब दिया. वो इस वक्त इस चूमाचाटी में अपना दर्द भूल चुकी थी.
फिर मैं उसके होंठों को चूमने लगा और वह भी मेरा साथ देने लगी. मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और वह मेरी जीभ को चूसने लगी. मैंने भी उसकी जीभ को चूसा. प्रीति मुझे बेकरारी से चूमने चाटने लगी और चूमते चूमते हमारे मुँह खुले हुए थे, जिसके कारण हम दोनों की जीभ आपस में टकरा रही थीं और हमारे मुँह में एक दूसरे का स्वाद घुल रहा था.
मैंने अपना चेहरा उठा कर उसकी आँखों में देखा … वो किसी तृप्त बिल्ली जो मलाई चाट चुकी हो … के जैसी अपनी आँखें बंद करके पड़ी थी और मेरे लण्ड को अपनी चूत में पूरा घुसा हुआ महसूस कर रही थी।
मैंने मुस्कुरा कर उसके माथे पर एक चुम्बन लिया और फिर उसकी चूत पर अपने लण्ड के प्रहारों को करना आरम्भ कर दिया। आरम्भ में वो कुछ सिसयाई पर जल्द ही उसके चूतड़ों ने भी मेरे लौड़े की धुन पर नाचना शुरू कर दिया। मैं अपनी कमर ऊंची उठाता … वो भी अपनी कमर को नीचे कर लेती और ज्यों ही मैं अपना भरपूर प्रहार उसकी चूत पर करता … वो भी मेरे लण्ड को लीलने के लिए अपने चूतड़ों को मेरी तरफ ऊपर को उठा देती।
फिर कुछ देर में ही वो भी मेरा साथ देने लगी. अब उसकी चुदाई में मुझे जैसे जन्नत का मज़ा आ रहा था. चूत अन्दर से रसीली थी तो लंड को आने जाने में सहूलियत होने लगी थी. कुछ ही देर में प्रीति ने स्पीड पकड़ ली थी. वो जोश में आ गई थी.
अब वो मजे से चिल्लाने लगी थी- अहाआअ … राआजा … मर गई … आईसीई … और जोर से … और जोर से चोदो!
इस सुर-ताल से हम दोनों का पूरा जिस्म पसीने से तरबतर हो गया था … पर चूंकि एक बार मैं झड़ चुका था … इसलिए मेरे स्खलन का फिलहाल कोई अहसास मुझे नहीं था और मैं पूरे वेग से उसकी चूत को रौंदने में लगा था।
अचानक प्रीति अकड़ने लगी और उसने एक तेज ‘आह्ह … कम ऑन … फ़ास्ट आई एम् कमिंग … आह्ह … ऊह्ह …’ सीत्कार की … और उसने मेरी पीठ पर अपने नाख़ून गड़ा कर मुझे इस बात का संकेत दे दिया कि वो तृप्त हो चुकी थी।
उसके रस से चूत में मेरे लौड़े के प्रहारों से अब ‘फच … फच …’ की मधुर ध्वनि गूँज रही थी।
कुछ ही पलों में मैं भी उसके ऊपर ढेर होता चला गया और मैं निचेष्ट होकर एकदम से बेसुध हो गया … मुझे सिर्फ इतना याद रहा कि उसने मेरे बालों में दुलार भरे अपने हाथ फिराए.
मेरी सुहागरात और उसके बाद हनीमून की कहानी जारी रहेगी जिसमें आप पढ़ेंगे कि कैसे हमने एक दूसरे को तृप्त कर दिया. आपके मेल का स्वागत है. अपनी प्रतिक्रियाएं मेरी ईमेल पर भेजिए. [email protected] आपका दीपक
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